जातं वंशे भुवनविदिते पुष्करावर्तकानां
जानामि त्वां प्रकृतिपुरुषं कामरूपं मघोनः
तेनार्थित्वं त्वयि विधिवशाद दूरबन्धुर गतो ऽहं
याच्ञा मोघा वरम अधिगुणे नाधमे लब्धकामा॥१.६॥
कहा पुष्करावर्त के वंश में जात ,
सुरपति सुसेवक मनोवेशधारी
मैं दुर्भाग्यवश दूर प्रिय से पड़ा हूं
हो तुम श्रेष्ठ इससे है विनती हमारी
संतप्त जन के हे आश्रय प्रदाता
जलद! मम प्रिया को संदेशा पठाना
भली है गुणी से विफल याचना पर
बुरी नीच से कामना पूर्ति पाना
संतप्तानां त्वमसि शरणं तत पयोद प्रियायाः
संदेशं मे हर धनपतिक्रोधविश्लेषितस्य
गन्तव्या ते वसतिर अलका नाम यक्षेश्वराणां
बाह्योद्यानस्थितहरशिरश्चन्द्रिकाधौतहर्म्या॥१.७॥
मैं , धनपति के श्राप से दूर प्रिय से
है अलकावती नाम नगरी हमारी
यक्षेश्वरों की, विशद चंद्रिका धौत
प्रासाद , है बन्धु गम्या तुम्हारी
त्वाम आरूढं पवनपदवीम उद्गृहीतालकान्ताः
प्रेक्षिष्यन्ते पथिकवनिताः प्रत्ययाद आश्वसन्त्यः
कः संनद्धे विरहविधुरां त्वय्य उपेक्षेत जायां
न स्याद अन्यो ऽप्य अहम इव जनो यः पराधीनवृत्तिः॥१.८॥
गगन पंथ चारी , तिम्हें देख वनिता
स्वपति आगमन की लिये आश मन में
निहारेंगी फिर फिर ले विश्वास की सांस
अपने वदन से उठा रूक्ष अलकें
मुझ सम पराधीन जन के सिवा कौन
लखकर सघन घन उपस्थित गगन में
विरह दग्ध कान्ता की अवहेलना कब
करेगा कोई जन भला किस भवन में
त्वां चावश्यं दिवसगणनातत्पराम एकपत्नीम
अव्यापन्नाम अविहतगतिर द्रक्ष्यसि भ्रातृजायाम
आशाबन्धः कुसुमसदृशं प्रायशो ह्य अङ्गनानां
सद्यः पाति प्रणयि हृदयं विप्रयोगे रुणद्धि॥१.९॥
अतिमंद अनुकूल शीतल पवन दोल
पर जब बढ़ोगे स्वपथ पर प्रवासी
तो वामांग में तब मधुर कूक स्वन से
सुमानी पपीहा हरेगा उदासी
आबद्ध माला उड़ेंगी बलाका
समय इष्ट लख गर्भ के हित , गगन में
करेंगी सुस्वागत तुम्हारा वहां पर
स्व अभिराम दर्शन दे भर मोद मन में
मन्दं मन्दं नुदति पवनश चानुकूलो यथा त्वां
वामश चायं नदति मधुरं चातकस ते सगन्धः
गर्भाधानक्षणपरिचयान नूनम आबद्धमालाः
सेविष्यन्ते नयनसुभगं खे भवन्तं बलाकाः॥१.१०॥
लखोगे सुनिश्चित विवश जीवशेषा
तो गिनते दिवस भ्रात की भामिनी को
आशा ही आधार , पति के विरह में
सुमन सम सुकोमल सुनारी हृदय को
Hindi poetic translation of great Sanskrit books.. Kalidas is considered as the greatest Indian poet of Sanskrit. Meghdootam and Raghuvansham are two of his world fame books. Shreemadbhagwat Geeta is the greatest spiritual book the world has ever known. These books are in Sanskrit.Prof C.B.Shrivastava of Jabalpur has translated Meghdootam , Raghuvansham , and Bhagwat Geeta in Hindi poetry . Mr Shrivastava told that he is in search of a reputed publisher forthese books.
2 comments:
bahut mahan kaam aap kar rahe hai ...........shubhakamnaaye
महॊदय नमांसि ।
भवतः ब्लाग् / वेब् सैट् पृष्ठं संस्कृतवाण्यां (The unique Sanskrit aggregator)संयॊजितं इति वक्तुं संतॊषं प्रकटयामि । तदत्र निम्नॊक्तप्रदॆशॆ द्रष्टुं शक्यतॆ
http://sanskrit.teluguthesis.org/aggregator/sources
अन्यदपि मॆ विज्ञापनं यद्भवतां ब्लाग् / वेब् सैट् पृष्ठॆ अस्माकं संस्कृतवाण्याः ( http://sanskrit.teluguthesis.org/node/2 प्रदॆशॆ लभॆत् ) चित्रं यथाशक्ति प्रकटीकुर्युः यॆन वयं धन्याः, कृतज्ञाश्च भवॆम ।
संस्कृतवाणी कृतॆ -
पाण्डुरङ्गशर्मा रामकः
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संस्कृतवाणी
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