सेकान्ते मुनिकन्याभिस्तत्क्षणोिज्झतवृक्षकम् ।
विÜवासाय विहंगानामालवालाम्बुपायिनाम् ।।
मुनिकन्यायें सींच तरू उन्हें गई झट त्याग
जिससे निर्भय हो विहंग पान करें जल भाग ।। 51।।
आतपात्ययसंक्षिप्तनीवारासु निषादिभि: ।
मृगैर्वर्तितरोमन्धमुटजा³गनभूमिषु ।।
रोमन्थन करते हनिण प्रांगण में मिल साथ
जहॉं दिन ढले अन्न को रहे समेट निषाद ।। 52।।
अभ्युित्थताग्निपिशुनैरतिथीनाश्रमोन्मुखान् ।
पुनानं पवनोद्धूतैधूZमैराहुतिगन्धिभि: ।।
आहूति गंधी पवन से धूम जहॉं गतिवान
अग्नि शिखा शुचि अतिथि ने आश्रम को पहचान ।। 53।।
अथ यन्तारमादिश्य धुर्यािन्वश्रामयेति स: ।
तामवरोहयत्पत्नीं रथादवततार च ।।
अश्वों को तब थामनें दे सारथि को हाथ
राजा रथ से उतर गये रानी को ले साथ ।। 54।।
तस्मै सभ्या: सभार्याय गोप्त्रे गुप्ततमेिन्द्रया: ।
अहZणामहZते चक्रुर्मुनयो नयचक्षुषे ।।
सपत्नीक उस न्यायी से , जो रक्षक विख्यात
सभी जितेिन्द्रय मुनियों ने की स्वागत कर बात ।। 55।।
विधे: सायंतनस्यान्ते स ददशZ तपोनिधिम् ।
अन्वासितमरून्धत्या स्वाहयेव हविभुZजम् ।।
अरून्धिती गुरू देव के सन्धया वन्दन बाद
दशZन पायें यों यथा स्वाहा - हविभुज साथ ।। 56।।
तयोर्जगृहतु: पादान्राजा राज्ञी च मागधी ।
तौ गुरूर्गुरूपत्नी च प्रीत्या प्रतिननन्दतु: ।।
राजा रानी ने किया उनको चरण प्रणाम
गुरू - गुरूपत्नो ने दिया आशीZवाद ललाम ।। 57।।
तमातिथ्यक्रियाशान्तरथक्षोभपरिश्रमम् ।
पप्रच्छ कुशलं राज्ये राज्याश्रममुनि मुनि: ।।
नुप से , पा आतिथ्य यो जिसकी मिटी थकान
मुनि ने पूंछी राज्य कुशल - क्षेम दे मान ।। 58।।
अथाथर्वनिधेस्तस्य विजितारिपुर: पुर: ।
अथ्र्यामर्थपतिर्वाचमाददे वद्तां वर: ।।
धर्म पंथ पालक नृप ‘शत्रु - विजेता ‘शूर
तब गुरू से बोले वचन आदर से भरपूर ।। 59।।
उपपन्नं ननु शिवं सप्तस्व³ेगषु यस्य मे ।
दैवीनां मानुषीणां च प्रतिहर्ता त्वमापदाम् ।।
गुरूवर है सब कुशलता प्रभुके पुण्य प्रताप
मुझ जिसके हर कष्ट के प्रतिहर्ता है आप ।। 60।।
Hindi poetic translation of great Sanskrit books.. Kalidas is considered as the greatest Indian poet of Sanskrit. Meghdootam and Raghuvansham are two of his world fame books. Shreemadbhagwat Geeta is the greatest spiritual book the world has ever known. These books are in Sanskrit.Prof C.B.Shrivastava of Jabalpur has translated Meghdootam , Raghuvansham , and Bhagwat Geeta in Hindi poetry . Mr Shrivastava told that he is in search of a reputed publisher forthese books.
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