कर्तुं यच च प्रभवति महीम उच्चिलीन्ध्राम अवन्ध्यां
तच च्रुत्वा ते श्रवणसुभगं गर्जितं मानसोत्काः
आ कैलासाद बिसकिसलयच्चेदपाथेयवन्तः
संपत्स्यन्ते नभसि भवतो राजहंसाः सहायाः॥१.११॥
सुन कर्ण प्रिय घोष यह प्रिय तुम्हारा
जो करता धरा को हरा , पुष्पशाली
कैलाश तक साथ देते उड़ेंगे
कमल नाल ले हंस मानस प्रवासी
आपृच्चस्व प्रियसखम अमुं तुङ्गम आलिङ्ग्य शैलं
वन्द्यैः पुंसां रघुपतिपदैर अङ्कितं मेखलासु
काले काले भवति भवतो यस्य संयोगम एत्य
स्नेहव्यक्तिश चिरविरहजं मुञ्चतो बाष्पमुष्णम॥१.१२॥
जगतवंद्य श्रीराम पदपद्म अंकित
उधर पूततट शैल उत्तुंग से मिल
जो वर्ष भर बाद पा फिर तुम्हें
विरह दुख से खड़ा स्नेहमय अश्रुआविल
मर्गं तावच चृणु कथयतस त्वत्प्रयाणानुरूपं
संदेशं मे तदनु जलद श्रोष्यसि श्रोत्रपेयम
खिन्नः खिन्नः शिहरिषु पदं न्यस्य गन्तासि यत्र
क्षीणः क्षीणः परिलघु पयः स्रोतसां चोपभुज्य॥१.१३॥
तो घन सुनो मार्ग पहले गमन योग्य
फिर वह संदेशा जो प्रिया को सुनाना
थके और प्यासे , प्रखर गिरि शिखर पर
जहां निर्झरों से तृषा है बुझाना
अद्रेः शृङ्गं हरति पवनः किं स्विद इत्य उन्मुखीभिर
दृष्टोत्साहश चकितचकितं मुग्धसिद्धाङ्गनाभिः
स्थानाद अस्मात सरसनिचुलाद उत्पतोदङ्मुखः खं
दिङ्नागानां पथि परिहरन स्थूलहस्तावलेपान॥१.१४॥
यहां से दिशा उत्तर प्रति उड़ो
इस तरह से कि लख तेज गति यह तुम्हारी
सिद्धांगनायें भी अज्ञान के वश
भ्रमित हों कि यह वायु गिरितुंगधारी
रत्नच्चायाव्यतिकर इव प्रेक्ष्यमेतत्पुरस्ताद
वल्मीकाग्रात प्रभवति धनुःखण्डम आखण्डलस्य
येन श्यामं वपुर अतितरां कान्तिम आपत्स्यते ते
बर्हेणेव स्फुरितरुचिना गोपवेषस्य विष्णोः॥१.१५॥
यथा कृष्ण का श्याम वपु गोपवेशी
सुहाता मुकुट मोरपंखी प्रभा से
तथा रत्नछबि सम सतत शोभिनी
कान्ति पाओगे तुम इन्द्र धनु की विभा से
Hindi poetic translation of great Sanskrit books.. Kalidas is considered as the greatest Indian poet of Sanskrit. Meghdootam and Raghuvansham are two of his world fame books. Shreemadbhagwat Geeta is the greatest spiritual book the world has ever known. These books are in Sanskrit.Prof C.B.Shrivastava of Jabalpur has translated Meghdootam , Raghuvansham , and Bhagwat Geeta in Hindi poetry . Mr Shrivastava told that he is in search of a reputed publisher forthese books.
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