Sunday, February 4, 2007

मण्डला के प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ने किया महाकवि कालीदास के ग्रँथों का हिन्दी पद्यानुवाद

मण्डला . नि.प्र. , भारतीय संस्कृति में आत्म प्रशंसा को शालीनता के विपरीत आचरण माना गया है , यही कारण है कि जहाँ विदेशी लेखकों के आत्म परिचय सहज सुलभ हैं ,वहीं कवि कुल शिरोमणी महाकवि कालिदास जैसे भारतीय मनीषीयों के ग्रँथ तो सुलभ हैं किन्तु इनकी जीवनी दुर्लभ हैं ! महाकवि कालिदास की विश्व प्रसिद्ध कृतियों मेघदूतम् , रघुवंशम् , कुमारसंभवम् , अभिग्यानशाकुन्तलम् आदि ग्रंथों में संस्कृत न जानने वाले पाठको की भी गहन रुचि है ! ऐसे पाठक अनुवाद पढ़कर ही इन महान ग्रंथों को समझने का प्रयत्न करते हैं ! किन्तु अनुवाद की सीमायें होती हैं ! अनुवाद में काव्य का शिल्प सौन्दर्य नष्ट हो जाता है ! ई बुक्स के इस समय में भी प्रकाशित पुस्तकों को पढ़ने का आनंद अलग ही है ! मण्डला के प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव विदग्ध जी ने महाकवि कालीदास कृत मेघदूतम् के समस्त १२१ मूल संस्कृत श्लोकों का एवं रघुवंश के सभी १९ सर्गों के लगभग १७०० मूल संस्कृत श्लोकों का श्लोकशः हिन्दी गेय छंद बद्ध भाव पद्यानुवाद कर हिन्दी के पाठको के लिये अद्वितीय कार्य किया है !
महाकवि कालीदास कृत रघुवंशम् का श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव
समस्त १९ सर्ग लगभग ४०० पृष्ठ लगभग १७०० श्लोक हेतु उन्हें प्रकाशक चाहिये ! शासन हर वर्ष कालिदास समारोह के नाम पर करोंडों रूपये व्यय कर रहा है ! जन हित में इन अप्रतिम कृतियों को आम आदमी के लिये संस्कृत में रुचि पैदा करने हेतु सी डी में तैयार इन पुस्तकों को इलेक्र्टानिक माध्यमों से दिखाया जाना चाहिये ! जिससे यह विश्व स्तरीय कार्य समुचित सराहना पा सकेगा !


उनका पता है
प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव
विवेक सदन , नर्मदा गंज , मण्डला म.प्र. भारत पिन ४८१६६१

फोन ०७६४२ २५००६८ , मोबाइल ९१ ९४२५१६३९५२

email vivekranjan.vinamra@gmail.com

3 comments:

अनुनाद सिंह said...

चित्र भूषण जी, आपका हिन्दी चिट्ठाजगत में हार्दिक स्वागत है।

यदि फान्ट का आकार थो.दा और ब.दा हो जाय तो पढ़ने में सुविधा होगी।

Divine India said...

आपका चिट्ठा जगत में स्वागत है…बहुत अच्छा लगा आपके चिट्ठे को पढ़कर…बहुत अच्छा किया है…कम से कम उन महान विभूतियों को तो पढ़ने का मौका मिलेगा जो शायद अछूता होता जा रहा है…थोड़ा फान्ट को बड़ा अगर कर दें तो सोने पर सुहागा हो जाए…।
बधाई स्वीकारे।

ePandit said...

हिन्दी में लिखना शुरु करने के लिए बधाई। हमारे हिन्दी ब्लॉगजगत में आइए। वहाँ आपकी सभी हिन्दी लिखने वालों से मुलाकात होगी। मैं आपको हिन्दी जगत की कुछ साइटों के बारे में बताता हूँ।

'परिचर्चा' एक हिन्दी फोरम है जिस पर हिन्दी टाइपिंग तथा ब्लॉग संबंधी मदद के अतिरिक्त भी अपनी भाषा में मनोरंजन हेतु बहुत कुछ है।

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श्रीश शर्मा 'ई-पंडित'