वैवस्वतो मनुर्नाम माननीयो मनीषिणाम् ।
आसीन्महीक्षितामाद्य: प्रणवश्छन्दसामिव ।।
वैवस्वत मनु नाम के ख्यात विशेष मनीष
वेदों में ओंकार सम प्रथम प्रबुद्ध महीष ।। 11।।
तदन्वये ‘शुद्धिमति प्रसूत: ‘शुद्धिमत्तर: ।
दिलीप इति राजेन्दुरिन्दु: क्षीरनिधाविव ।।
उनके पावन वंश में प्रबुध दिलीप नरेश
हुये, कि जैसे क्षीरनिधि से उपजे राकेश ।। 12।।
व्यूढोरस्को वृषस्कन्ध: शालप्रांशुर्महाभुज: ।
आत्मकर्मक्षमं देहं क्षात्रो धर्म इवाश्रित: ।।
उर विशाल , वृषकन्ध औं दीघZ सुवाहु सुरूप
सकल कर्म हित सबल तनु , छात्रधर्म धृतरूप ।। 13।।
सर्वातिरिक्तसारेण सर्वतेजोभिभाविना ।
स्थित: सर्वोन्नतेनोवाीZ क्रान्त्वा मेरुरिवात्मना ।।
शक्ति युक्त अति तेजमय , कान्तिवान , बलवान
पृथ्वी पर विख्यात बुध , पर्वत मेरूं समान ।। 14।।
आकारसट्टशप्रज्ञ: प्रज्ञया सट्टशागम: ।
आगमै: सट्टशारम्भ आरम्भसट्टशोदय: ।।
रूप सदृश प्रज्ञा लिये , प्रज्ञा सम रूप साथ
शास्त्रविहित शुभकर्म सं , कर्मसदृश फल हाथ ।। 15।।
भीमकान्तैनृेपगुण्ौ: स वभूवोपजीविनाम् ।
अधृष्यÜचाभिगम्यÜच यादोरत्नैनिवार्णव: ।।
योग्य नृपति के गुणों से आश्रित जनहित प्रेय
हुआ कि जलचर , रत्नहित ज्यों सागर है ध्येय ।। 16।।
रेखामात्रमपि क्षुण्णादा मनोर्वत्र्मन: परम् ।
न व्यतीयृ: प्रजास्तस्य नियन्तुनेZमिवृत्तय: ।।
पूर्व प्रतििष्ठत पंथ की प्रजा रही अनुयायि
कुशल सारथी का सुरथ ज्यों न लीक तज जाए ।। 17।।
प्रजानामेव भूत्यथंZ स ताभ्यो बलिमग्रहीत् ।
सहस्त्रगुणमुत्स्रष्ड्डमादत्ते हि रसं रवि: ।।
रवि किरणों से जिस तरह करता रस स्वीकार
विविध दान हित , प्रजाहित या उसका धर भार।।18।।
सेना परिच्छदस्तस्य द्वयमेवार्थसाधनम् ।
शास्त्रेष्वकृिण्ठता बुद्धिमौंर्वी धनुषि चातता ।।
उसकी सेना के रहे दो बल श्रेष्ठप्रधान
नीति युक्त शुभ बुद्धि और धनुष रज्जु की तान ।। 19।।
तस्य संवृतमन्त्रस्य गूढाकारेिग्³तस्य च ।
फलानुमेया: प्रारम्भा: संस्कारा : प्राक्तना इव ।।
उसके मन के भाव हों या हों गूढ़ विचार
पूर्व कर्म संस्कार युत थे , फल के अनुसार ।। 20।।
हिन्दी पद्यानुवादक
प्रो. चित्रभूषण श्रीवास्तव `विदग्ध´
सी ६ , विद्युत मंडल कालोनी , रामपुर , जबलपुर म.प्र.
भारत
Hindi poetic translation of great Sanskrit books.. Kalidas is considered as the greatest Indian poet of Sanskrit. Meghdootam and Raghuvansham are two of his world fame books. Shreemadbhagwat Geeta is the greatest spiritual book the world has ever known. These books are in Sanskrit.Prof C.B.Shrivastava of Jabalpur has translated Meghdootam , Raghuvansham , and Bhagwat Geeta in Hindi poetry . Mr Shrivastava told that he is in search of a reputed publisher forthese books.
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