तस्य दाक्षिण्यरूढेन नाम्ना मगधवंषजा ।
पत्नी सुदक्षिणेत्यासीदध्वरस्येव दक्षिणा ।।
उसकी पत्नी थी सरल , मगधवंष में जात
यथा यज्ञ की दक्षिणा , सुदक्षिणा विख्यात ।। 31।।
कलत्रवन्तमात्मानमवरोधे महत्यपि ।
तया मेने मनस्विन्या लक्ष्म्या च वसुधाधिपः ।।
अन्तःपुर का थ उसे पाकर के अभिमान
वसुधाधिप के हृदय में भी था अति सम्मान ।। 32।।
तस्यामात्मानुरूपायामात्जन्मसमुत्सुकः ।
विलम्बितफलै: कालं स निनाय मनोरथै: ।।
उससे आत्मज जन्म की मधुर कल्पना पाल
दीर्घ काल से साधरत रहते थे भूपाल ।। 33।।
संतानार्थाय विधये स्वभुजादवतारिता ।
तेन धूर्जगतो गुर्वी सचिवेषु निचिक्षिपे ।।
दे सचिवों को राज्य के संचालन का भार
पुत्र प्राप्ति की कामना से गुरूभार उतार ।। 34।।
अथाभ्यच्र्य विधातारं प्रयतौ पुत्रकाम्यया ।
तौ दंपती वसिष्ठस्य गुरोर्जग्मतुराश्रमम् ।।
ब्रह्म की कर अर्चना , रख मन में विष्वास
दोनो पति पत्नी गये गुरू वषिष्ठ के पास ।। 35।।
स्निगधगम्भीरनिर्घोषमेकं स्यन्दनर्मािस्थतौ ।
प्रावृषेण्यं पयोवाहं विद्युदैरावताविव ।।
विद्युत - ऐरावत यथा वर्षाधन आसीन
रथ में बैठे दम्पती तथा भाव तल्लीन ।। 36।।
मा भूदाश्रमपीडेति परिमेयपुरः सरौ ।
अनुभावविषेषातु सेनापरिवृताविव ।।
आश्रमपद की षांति का धरधर मन में ध्यान
सीमित परिजन और गुण थे जिनकी पहचान ।। 37।।
सेव्यमानौ सुखस्पषर् षालनिर्यासगनिधभिः ।
पुष्परेणूत्किरैर्वातैराधूतवनराजिभिः ।।
सालगंध युत वायु का पा कोमल संस्पर्ष
ले पराग जो बह रही वन श्री को दे हर्ष ।। 38।।
मनोभिरामाः ष्षृण्वन्तौ रथनेमिस्वनोन्मुखै: ।
षड्जसंवादिनीः केका द्विधा भिन्नाः षिखण्डिभि: ।।
रथ ध्वनि उत्सुक मोर की कूक - छलित आवाज
मन को आकर्षक लगी , लगें षडज् ज्यों साज ।। 39।।
परस्पराक्षिसाट्टष्यमदूरोज्झितवत्र्मसु ।
मृगद्वन्द्धेषु पष्यन्तौ स्पन्दनाबद्धट्टष्टिषु ।।
रथ समीप लग मार्ग तज रथ जो रहें निहार
मृग युग्मों के नयन सम , नयनों में भर प्यार ।। 40।।
Hindi poetic translation of great Sanskrit books.. Kalidas is considered as the greatest Indian poet of Sanskrit. Meghdootam and Raghuvansham are two of his world fame books. Shreemadbhagwat Geeta is the greatest spiritual book the world has ever known. These books are in Sanskrit.Prof C.B.Shrivastava of Jabalpur has translated Meghdootam , Raghuvansham , and Bhagwat Geeta in Hindi poetry . Mr Shrivastava told that he is in search of a reputed publisher forthese books.
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