कर दर्शन मंत्र
कराग्रे वसते लक्ष्मी: करमध्ये सरस्वती।
करमूले च शक्ति: प्रभाते करदर्शनम्॥
अर्थ: उंगलियों के पोरों में लक्ष्मी जी निवास करती हैं, हथेली के मध्य भाग में सरस्वती जी और हथेली के मूल में देवी शक्ति। सवेरे-सवेरे इनका दर्शन करना पुण्यप्रद है।
विधि: प्रात:काल उठते ही दोनों हाथ खोलकर उनके दर्शन करने चाहिए।
लाभ: दिनभर चित्त प्रसन्न रहता है और कार्यो में सफलता मिलती है।
हिन्दी भावानुवाद
द्वारा ..... प्रो. सी. बी. श्रीवास्तव विदग्ध
लक्ष्मी ,सरस्वती ,शक्ति के ," कर" में हैं स्थान
करिये प्रातः हथेली का , प्रिय दर्शन-ध्यान !!
गायत्री मंत्र
ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं।
भर्गो देवस्य धीमहि धियो योन: प्रचोदयात्॥
अर्थ : हे प्राण, पवित्रता और आनंद देने वाले प्रभु! आप सर्वज्ञ और सकल जगत के उत्पादक हैं। हम आपके ज्ञान स्वरूप तेज का ध्यान करते हैं, जो हमारी बुद्धि में प्रकाशित रहता है। आप हमें अच्छे कर्म करने और सन्मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करें।
विधि: प्रात:काल स्नान कर, पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें और इस मंत्र का 108, 28 या 11 बार जप करें।
लाभ: मन की एकाग्रता बढती है। जीवन में आशा व उत्साह का संचार होता है।
हिन्दी छंद बद्ध भावानुवाद
द्वारा ..प्रो.सी.बी.श्रीवास्तव "विदग्ध"
जो जगत को प्रभा ओ" ऐश्वर्य देता है दान
जो है आलोकित परम औ" ज्ञान से भासमान ॥
शुद्ध है विज्ञानमय है ,सबका उत्प्रेरक है जो
सब सुखो का प्रदाता , अज्ञान उन्मूलक है जो ॥
उसकी पावन भक्ति को हम , हृदय में धारण करें
प्रेम से उसके गुणो का ,रात दिन गायन करें ॥
उसका ही लें हम सहारा , उससे ये विनती करें
प्रेरणा सत्कर्म करने की ,सदा वे दें हमें ॥
बुद्धि होवे तीव्र ,मन की मूढ़ता सब दूर हो
ज्ञान के आलोक से जीवन सदा भरपूर हो ॥
महामृत्युंजय मंत्र
ॐ त्र्यंम्बकं यजामहे सुगंधिम् पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बंधनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
अर्थ: त्रिनेत्र शिव जी को प्रणाम, जो सुगंध से परिपूर्ण हैं और मानव जाति का पालन करते हैं। वे मुझे माया और मृत्यु से बचाएं, जिस तरह पकी हुई ककडी अपनी बेल से स्वत: अलग हो जाती है, ठीक उसी तरह हमें संसार के दुखों और मोह-माया के बंधनों से मुक्ति प्रदान करे।
विधि: संध्याकाल में दीपक जलाकर, पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके शांत भाव से 108, 28 या 11 बार जप करना चाहिए।
लाभ: शरीर स्वस्थ रहता है और दुर्घटनाओं से बचाव होता है।
हिन्दी भावानुवाद
द्वारा ..... प्रो. सी. बी. श्रीवास्तव विदग्ध
सतत शांति सुख वृद्धि हित , शिव को करो प्रणाम
माया ,मृत्यु ,औ" मोह से रक्षक जिनका नाम !!
गणपति वंदन
वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ:।
निर्विध्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
अर्थ: हे गणेश जी! आप महाकाय हैं। आपकी सूंड वक्र है। आपके शरीर से करोडों सूर्यो का तेज निकलता है। आपसे प्रार्थना है कि आप मेरे सारे कार्य निर्विध्न पूरे करें।
विधि: घर से बाहर निकलते समय इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए।
लाभ: जिस कार्य के लिए घर से निकलते हैं, वह पूरा होता है और यश मिलता है।
हिन्दी भावानुवाद
द्वारा ..... प्रो. सी. बी. श्रीवास्तव विदग्ध
सूर्य दीप्ति से प्रभामय , वक्रशुण्ड गणराज
बाधा विघ्न विनाश प्रभु, सफल करो सब काज
लोक कल्याण मंत्र
ॐ सर्वे भवन्तु सुखिन:, सर्वे सन्तु निरामया:।
सर्वे भ्रदाणि पश्यन्तु, मा कश्चित् दु:खभाग्
भवेत॥ ॐ शांति: शांति: शांति:।।
अर्थ:सभी सुखी-स्वस्थ हों, शुभ देखें और कोई दुखी न हो।
विधि: परिवार के सभी सदस्यों को दिन में एक बार कभी भी पूर्व या उत्तर दिशा की ओर खडे होकर इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए।
लाभ: परिवार की उन्नति होती है और सभी सदस्यों के परस्पर सद्भाव में वृद्धि होती है।
हिन्दी भावानुवाद
द्वारा ..... प्रो. सी. बी. श्रीवास्तव विदग्ध
सब निरोग हों , सब सुखी , सबका हो कल्याण
दुखी न हो जग में कोई , यह वर दो भगवान !!
शयन प्रार्थना
करचरणकृतं वाक्-कायजं कर्मजं वा
श्रवणनयनजं वा मानसं वापराधम्।
विहितमविहितं वा सर्वमेतत् क्षमस्व
जय जय करुणाब्धे श्रीमहादेव शंभो।
अर्थ: हे! महादेव मेरे ज्ञात-अज्ञात पापों को नष्ट करें, जिन्हें मैंने हाथ, पैर वाणी, कान आंखों या मन से किए हों। हे! करुणा के सागर, आप की जय हो।
विधि: सोने से पहले बिस्तर पर ही बैठकर हाथ जोडकर प्रार्थना करनी चाहिए।
लाभ: मानसिक तनाव दूर होता है और अच्छी नींद भी आती है।
हिन्दी भावानुवाद
द्वारा ..... प्रो. सी. बी. श्रीवास्तव विदग्ध
हाथ , पैर , मुख देह , मन , नयन श्रवण कृत साध
दयावान शिव दें क्षमा , यदि कोई मम अपराध !!
संपर्क ...ओबी ११, विद्युत मण्डल कालोनी , रामपुर , जबलपुर
Hindi poetic translation of great Sanskrit books.. Kalidas is considered as the greatest Indian poet of Sanskrit. Meghdootam and Raghuvansham are two of his world fame books. Shreemadbhagwat Geeta is the greatest spiritual book the world has ever known. These books are in Sanskrit.Prof C.B.Shrivastava of Jabalpur has translated Meghdootam , Raghuvansham , and Bhagwat Geeta in Hindi poetry . Mr Shrivastava told that he is in search of a reputed publisher forthese books.
8 comments:
इन दुरुह मंत्रों को पद्यबद्ध् कर पाना आसान काम नही है..बहुत बहुत बधाई..बहुत प्यारा लगा आपका ब्लॉग..उम्मीद है आगे बहुत कुछ पढ़ने को मिलेगा.
बहुत बहुत साधुवाद इस कार्य के लिए.
आपना बहुत बडा काम किया है । आपकी जितनी प्रशंसा की जाए वह कम होगी ।
आपका contact ईमेल आयडी मिल सकता है
जयपुर से प्रकाशित प्राचीन दुर्गा सप्तशती काव्यानुवाद बहोत अच्छा है
लेकिन अब उसकी कॉपी नहीं मिलती , प्रकाशक को संपर्क
किया तो वह बोले अब नहीं छपवाते , वैसे और भी २-३ लेखकोंके उपलब्ध
है उसमे ''दुर्गा स्तुति '' मनोज प्रकाशन का है , और दूसरा है
हनुमान चालीसा जैसा स्टाइल में है दोहा चौपाईमे
लेकिन मुझे यह जयपुरसे प्रकाशित अच्छा लगा।
please give your email id
suresh.pitre@gmail.com
जयपुर से प्रकाशित प्राचीन दुर्गा सप्तशती छंदबद्ध काव्यानुवाद बहोत अच्छा है
लेकिन अब उसकी कॉपी नहीं मिलती , प्रकाशक को संपर्क
किया तो वह बोले अब नहीं छपवाते , वैसे और भी २-३ लेखकोंके उपलब्ध
है उसमे ''दुर्गा स्तुति '' मनोज प्रकाशन का है , और दूसरा है
हनुमान चालीसा जैसा स्टाइल में है दोहा चौपाईमे
और एक दीखता कवि चमन जी का लिखा हुआ
लेकिन मुझे यह जयपुरसे प्रकाशित अच्छा लगा।
shiv tandav stotra marathi kavya anuwad - chhndbaddha by narendra gole
he has also translated so many hindi cinema songs in marathi.
http://anuvad-ranjan.blogspot.in/2012/11/blog-post.html
shiv tandav stotr hindi kavya anuwad kavi bajarang lal joshi
http://joshikavi.blogspot.in/2011/03/blog-post_1945.html
this is something special
bhagwadgita sampurna in marathi kavya anuwad full bhujang prayat chhanda
translated by kavi Thatte from pune so many years back , bhardwaj prkashan
now out of print,
sampurna shrimad bhagwat puran translated in marathi kavya anuwad
by sattysandha barve , Ambernath, Maharashtra
http://www.bookganga.com/eBooks/Books/Index?BookSearchTags=Shrimad%20Bhagwat%20Mahapooran&BookType=1
Vishnu sahasranam bhavarth ( anushtup chhanda )
http://www.bookganga.com/Preview/BookPreview.aspx?BookId=5193347194601928925&PreviewType=books
shiv mahimna marathi kavy anuwad wrote by 4 different poets in marathi
sampurn yajurvedi Rudra adhyay namak + chamak translated ovibaddha
rudra - dhavale prakashan
durga saptashati marathi kavya anuwad- wrote by 4 poets
pruthwi sukta shri sukta purush sukta ratri sukta all kavya anuwad in marathi
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ganapati atharv shirsh marathi kavya anuwad by 2 poets.
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